शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी 'ऑपरेशन सिंदूर' विवाद और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने का आरोप, जानें पूरा मामला
सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और 22 वर्षीय कानून की छात्रा शर्मिष्ठा पनोली को पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा 'ऑपरेशन सिंदूर' से संबंधित एक पोस्ट के माध्यम से कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के बाद एक नया विवाद खड़ा हो गया है।

नई दिल्ली: सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर और 22 वर्षीय कानून की छात्रा शर्मिष्ठा पनोली को पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा 'ऑपरेशन सिंदूर' से संबंधित एक पोस्ट के माध्यम से कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के बाद एक नया विवाद खड़ा हो गया है। यह गिरफ्तारी शनिवार को गुरुग्राम से हुई, जिसके बाद सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर जोरदार बहस छिड़ गई है। कई लोग शर्मिष्ठा के समर्थन में सामने आए हैं, जबकि कुछ उनके पोस्ट की आलोचना कर रहे हैं।
शर्मिष्ठा पनोली ने 'ऑपरेशन सिंदूर' पर कथित तौर पर बॉलीवुड अभिनेताओं की चुप्पी को लेकर कुछ बड़े सितारों पर निशाना साधा था और सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा किया था। आरोप है कि इस पोस्ट में उन्होंने एक समुदाय विशेष की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाली आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया था। हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद शर्मिष्ठा ने कथित तौर पर पोस्ट डिलीट कर माफी भी मांग ली थी।
इसके बावजूद, 15 मई को कोलकाता के गार्डनरीच थाने में शर्मिष्ठा के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराओं के तहत FIR दर्ज की गई। कोलकाता पुलिस ने उन्हें गुरुग्राम से गिरफ्तार किया और ट्रांजिट रिमांड पर कोलकाता की अलीपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें 13 जून तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
वकील ने क्या कहा और शर्मिष्ठा की प्रतिक्रिया
शर्मिष्ठा के वकील शमीमुद्दीन ने बताया कि उन्होंने अदालत में जमानत याचिका दायर की है। उन्होंने कहा, "अभियोजन पक्ष ने मोबाइल फोन और लैपटॉप जैसे सबूतों का जिक्र किया, जिन्हें जब्त कर लिया गया है। अदालत ने हमारी याचिका सुनी है। अभियोजन पक्ष ने पुलिस हिरासत की मांग की थी, जिसे खारिज कर दिया गया।" शर्मिष्ठा ने अपनी गिरफ्तारी के बाद पुलिस वाहन में बैठने से पहले चीखते हुए कहा, "लोकतंत्र में मेरा उत्पीड़न किया गया है, यह लोकतंत्र नहीं हो सकता।"
किन धाराओं के तहत आरोप लगे हैं?
सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट शुभम गुप्ता के अनुसार, शर्मिष्ठा पर BNS की निम्नलिखित धाराएं लगाई गई हैं:
- धारा 196(1)(ए): धर्म, जाति, भाषा, समुदाय आदि के आधार पर दो समुदायों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना।
- सजा: 5 साल की कैद और जुर्माना।
- धारा 299: जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य, जिसका मकसद किसी वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना हो।
- सजा: 3 साल की कैद और जुर्माना।
- धारा 352: शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर किसी का अपमान करना।
- सजा: 2 साल की कैद और जुर्माना।
- धारा 353(1)(सी): ऐसे बयान जिनकी वजह से हंगामा हो या जो लोगों को उकसाएं।
- सजा: 3 साल की कैद और जुर्माना।
इन धाराओं के तहत आरोप काफी गंभीर माने जाते हैं, और दोषसिद्धि पर कारावास और जुर्माना दोनों हो सकते हैं।
मामले पर राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रियाएं
शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी पर कई राजनीतिक हस्तियों ने अपनी राय व्यक्त की है।
- कंगना रनौत का बयान: भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद कंगना रनौत ने कहा कि शर्मिष्ठा की गिरफ्तारी गलत है। उनके अनुसार, जब शर्मिष्ठा ने माफी मांग ली है तो मामला खत्म हो जाना चाहिए था और उनका करियर इस तरह से प्रभावित नहीं होना चाहिए। उन्होंने पश्चिम बंगाल सरकार से आग्रह किया कि राज्य को "उत्तर कोरिया" न बनाएं।
- पवन कल्याण का सवाल: आंध्र प्रदेश के डिप्टी सीएम पवन कल्याण ने शर्मिष्ठा पर हुई त्वरित कार्रवाई की तुलना तृणमूल कांग्रेस (TMC) के कुछ नेताओं द्वारा सनातन धर्म पर की गई कथित अपमानजनक टिप्पणियों पर कोई कार्रवाई न होने से की।
During Operation Sindoor, Sharmistha, a law student, spoke out, her words regrettable and hurtful to some. She owned her mistake, deleted the video and apologized. The WB Police swiftly acted, taking action against Sharmistha.
But what about the deep, searing pain inflicted… pic.twitter.com/YBotf34YYe — Pawan Kalyan (@PawanKalyan) May 31, 2025
- कार्ति चिदंबरम का बयान : कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम ने कहा कि सोशल मीडिया पोस्ट के लिए इस तरह की अंतरराज्यीय गिरफ्तारियां, जब तक यह साफ न हो कि इससे कानून और व्यवस्था की स्थिति खराब हुई है, पुलिस शक्तियों का स्पष्ट दुरुपयोग है।
These interstate arrests for social media posts (unless it’s clearly demonstrated that it has lead to a law & order situation) is blatantly a misuse of police powers. https://t.co/Dt02Dffpn0 — Karti P Chidambaram (@KartiPC) May 31, 2025
यह मामला अब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सोशल मीडिया के जिम्मेदारीपूर्ण उपयोग और धार्मिक भावनाओं की संवेदनशीलता के बीच एक महीन रेखा को उजागर करता है। शर्मिष्ठा पनोली फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं और उनके मामले पर आगे की कानूनी कार्रवाई का इंतजार है।