राजस्थान में One State One Election पर कानून में बदलाव की तैयारी, पहली वर्षगांठ पर हो सकती है घोषणा
राजस्थान सरकार राज्य में 'वन स्टेट-वन इलेक्शन' (एक राज्य-एक चुनाव) व्यवस्था लागू करने की योजना पर तेजी से कार्यरत है। इस योजना के तहत सभी पंचायत और शहरी निकाय चुनाव एक साथ कराए जाने की संभावनाओं को लेकर चर्चा चल रही है। फिलहाल, प्रस्तावित योजना को लेकर सरकार में मंत्री-स्तरीय कमेटी का प्रस्ताव अटका हुआ है।

जयपुर : राजस्थान सरकार राज्य में 'वन स्टेट-वन इलेक्शन' (एक राज्य-एक चुनाव) व्यवस्था लागू करने की योजना पर तेजी से कार्यरत है। इस योजना के तहत सभी पंचायत और शहरी निकाय चुनाव एक साथ कराए जाने की संभावनाओं को लेकर चर्चा चल रही है। फिलहाल, प्रस्तावित योजना को लेकर सरकार में मंत्री-स्तरीय कमेटी का प्रस्ताव अटका हुआ है। उम्मीद है कि सरकार अपनी पहली वर्षगांठ के मौके पर 15 दिसंबर को इसे लेकर बड़ा ऐलान कर सकती है।
नए जिलों के कारण रुका प्रस्ताव
गहलोत सरकार द्वारा राजस्थान में नए जिलों के निर्माण के बाद 'वन स्टेट-वन इलेक्शन' का प्रस्ताव फिलहाल रुका हुआ है। पंचायत और शहरी निकायों के चुनावों को एक साथ आयोजित करने के लिए राज्य निर्वाचन आयोग अपने स्तर पर कानूनी अड़चनों पर विचार कर रहा है। इसके लिए विधि विभाग और कानूनी विशेषज्ञों से भी राय ली जा रही है।
जिलों पर होगा फैसला, फिर आगे बढ़ेगी योजना
इस योजना से पहले सरकार गहलोत शासन के अंतर्गत नए जिलों को लेकर अंतिम फैसला करेगी। इससे जिलों की संख्या निर्धारित हो जाएगी और पंचायत चुनावों को सही तरीके से योजना के अंतर्गत लागू किया जा सकेगा। कानून मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि जिलों पर निर्णय के बाद ही 'वन स्टेट-वन इलेक्शन' संभव हो सकेगा।
पंचायत चुनाव आगे बढ़ाने पर विचार
इस योजना के तहत राज्य को लगभग 6975 पंचायतों के चुनाव को टालना होगा, जो जनवरी में होने वाले थे। इसके लिए सरकार को इन पंचायतों में प्रशासक नियुक्त करने होंगे। इसके अलावा, चुनाव को एक साथ करवाने के लिए इन पंचायतों के कार्यकाल को भी आगे बढ़ाना होगा।
सरपंच संघ की मांग: मध्य प्रदेश मॉडल अपनाएं
राजस्थान सरपंच संघ ने इस योजना का समर्थन करते हुए पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाने की मांग की है। उन्होंने 'मध्य प्रदेश मॉडल' अपनाने का सुझाव दिया, जिसके तहत पंचायतों के चुनाव टालने के बजाय मौजूदा सरपंचों की जिम्मेदारी बढ़ाई जा सकती है।
चुनाव टालने के कानूनी पहलू
संविधान के 73वें और 74वें संशोधन के अनुसार पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव हर पांच साल में करवाना अनिवार्य है। हालांकि, विशेष परिस्थितियों में चुनाव को टाला जा सकता है, जैसे कि कोविड महामारी के दौरान हुआ था। ऐसे में सरकार को न्यायालय में भी विशेष परिस्थिति का हवाला देना होगा।